लोकसभा चुनाव 2019 के लिए अब समय बहुत कम शेष रह गया है, 3-4 हफ़्तों में मतदान होने है ऐसे में सारी पार्टी अपनी अपनी तैयारी में व्यस्त है। चुनाव से पहले गठबंधन का भी त्यौहार होता है, इस त्यौहार में कई पार्टी मिलते है और एक पार्टी को हराने के मकसद से जोड़-मोड़ करते है।
लोकसभा चुनाव 2019 में ऐसा ही एक महागठबंधन बनने की उम्मीद की जा रही थी लेकिन चुनाव के निकट आते ही सब एक दूसरे से भागते ही नजर आ रहे है, कांग्रेस, एनसीपी, सपा, बसपा, तुर्नमूल कांग्रेस, राजद, के साथ आने की आशंका थी और काफी जोर-शोर से #भाजपा_भगाओ_देश_बचाओ के नारे लगाए जा रहे थे। जैसे जैसे चुनाव का समय नजदीक आ रहा है गठबंधन बिखरता हुआ नजर आ रहा है।
नई दिल्ली में कांग्रेस की पूर्व मुख्यमंत्री शिला दीक्षित ने कहा है कि "आप" के साथ कोई गठबंधन नही होना चाहिए।
उत्तर प्रदेश में कांग्रेस, बसपा, सपा का साथ मे चुनाव लड़ना मुश्किल ही नज़र आ रहा है, क्योंकि सपा और बसपा में आपस मे गठबंधन कर के कांग्रेस को दरकिनार कर दिया है।
बिहार में भी राजद से बात बन नही पा रही है सीट के बटवारें को लेकर।
ऐसे में कांग्रेस को अकेले चुनाव में उतारना चाहिए? क्योंकि सब के सहारे पर रहे तो ऐसा ना हो कि इस बार भी बँटाधार हो जाए और सारी तैयारी धरी की धरी रह जाए। प्रियंका गांधी को मैदान पर उतारा गया है लेकिन सिर्फ कार्य संभालने के लिए चुनाव लड़ने के लिए नही।
उम्मीद है इस होली पर सारे दल एक साथ आए और चुनाव की तैयारी करें। एनसीपी अध्य्क्ष शरद पवार ने मीटिंग बुलाई थी जिसमे कांग्रेस और आप शामिल हुए, देखते है जल्द ही कोई नतीज़ा निकलेगा।
चुनाव के इतने नजदीक आ जाना और कांग्रेस को कोई भी साथी ना मिलना चिंता का विषय है (मेरे लिए नही, राहुल गांधी जी के लिए)। आखिर होली का त्यौहार है, जो जिस रंग में चाहे ढल जाए।
लोकसभा चुनाव 2019 में ऐसा ही एक महागठबंधन बनने की उम्मीद की जा रही थी लेकिन चुनाव के निकट आते ही सब एक दूसरे से भागते ही नजर आ रहे है, कांग्रेस, एनसीपी, सपा, बसपा, तुर्नमूल कांग्रेस, राजद, के साथ आने की आशंका थी और काफी जोर-शोर से #भाजपा_भगाओ_देश_बचाओ के नारे लगाए जा रहे थे। जैसे जैसे चुनाव का समय नजदीक आ रहा है गठबंधन बिखरता हुआ नजर आ रहा है।
नई दिल्ली में कांग्रेस की पूर्व मुख्यमंत्री शिला दीक्षित ने कहा है कि "आप" के साथ कोई गठबंधन नही होना चाहिए।
उत्तर प्रदेश में कांग्रेस, बसपा, सपा का साथ मे चुनाव लड़ना मुश्किल ही नज़र आ रहा है, क्योंकि सपा और बसपा में आपस मे गठबंधन कर के कांग्रेस को दरकिनार कर दिया है।
बिहार में भी राजद से बात बन नही पा रही है सीट के बटवारें को लेकर।
ऐसे में कांग्रेस को अकेले चुनाव में उतारना चाहिए? क्योंकि सब के सहारे पर रहे तो ऐसा ना हो कि इस बार भी बँटाधार हो जाए और सारी तैयारी धरी की धरी रह जाए। प्रियंका गांधी को मैदान पर उतारा गया है लेकिन सिर्फ कार्य संभालने के लिए चुनाव लड़ने के लिए नही।
उम्मीद है इस होली पर सारे दल एक साथ आए और चुनाव की तैयारी करें। एनसीपी अध्य्क्ष शरद पवार ने मीटिंग बुलाई थी जिसमे कांग्रेस और आप शामिल हुए, देखते है जल्द ही कोई नतीज़ा निकलेगा।
चुनाव के इतने नजदीक आ जाना और कांग्रेस को कोई भी साथी ना मिलना चिंता का विषय है (मेरे लिए नही, राहुल गांधी जी के लिए)। आखिर होली का त्यौहार है, जो जिस रंग में चाहे ढल जाए।
Comments
Post a Comment