बिहार राज्य में अभी तक चमकी या नवका बुखार से तक़रीबन 150 से ज्यादा बच्चों की जानें जा चुकी है , इसका सबसे ज्यादा प्रभाव मुजफ्फरपुर में हुआ है। यह कोई पहली दफ़ा नहीं है की चमकी बुखार ने यह हाहाकार मचाया है , यह हर साल आती है और और हर साल सैकड़ो बच्चों की जान लेती है।
अब आप कहेंगे यहाँ की राज्य सरकार कोई ठोस कदम क्यों नहीं उठाती, उसका जवाब भी मिलेगा, पहले जान लेते है इस बीमारी के बारे में,
अब आप कहेंगे यहाँ की राज्य सरकार कोई ठोस कदम क्यों नहीं उठाती, उसका जवाब भी मिलेगा, पहले जान लेते है इस बीमारी के बारे में,
एक्यूट इन्सेफ्लाइटिस सिंड्रोम (Acute Encephalitis Syndrome )
यह एक लक्षण है और बीमारी का पता अभी तक नहीं चल पाया है, इसमें जिन लोगो की प्रतिरोधक
(Immunity ) क्षमता कम होती है उनपर इसका असर सबसे पहले होता है (बच्चे ज्यादातर )।
यह 1 से 10 साल तक के बच्चो को अपना शिकार बनाती है सीधा उनके मस्तिष्क पर असर डालता है। यह भ्रम और भटकाए जैसे लक्षण देता है, और बच्चो को झटका आता है।
जापानीज इन्सेफेलाइटिस वायरस भी इसका मुख्य कारण है।
जापानीज इन्सेफेलाइटिस वायरस भी इसका मुख्य कारण है।
भारत मे प्रभावित राज्य
बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, उत्तराखंड, पश्चिम बंगाल, असम, मेघालय, त्रिपुरा, नागालैंड, अरुणांचल प्रदेश, महाराष्ट्र, गोवा, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, तमिल नाडु और केरल।
बिहार में बिगड़ते हालात और सरकार
- बिहार में इस का प्रकोप फिर से चरम सीमा पर है, मुज़फ्फरपुर में सबसे ज्यादा मौत हुई है चमकी बुखार के चलते। हर साल भीषण गर्मी के दौरान ही इसका कहर पसरता है। इस बीमारी का ज्यादा असर कुपोषित बच्चो में देखा जाता है और उन इलाकों में जहाँ साफ़-सफ़ाई की सुविधा नही होती है।
- इसमे ज़्यादातर ग्रसित बच्चे गरीब परिवार से होते है और ऐसे में सरकार का योगदान अहम हो जाता है। सरकारी अस्पतालों में जाँच की सुविधा को सुगम बनाने हेतु सरकार का योगदान शून्य रहता है, एक बार फिर यह साबित हो गया कि बिहार स्वास्थ मंत्री इस बीमारी से बचाव करवाने में असमर्थ है, क्योंकि उनका बयान यह कहता है कि, "हमने अपनी तरफ से कोशिश कर ली है अब जो करेंगे वो देश के स्वास्थ मंत्री करेंगे"।
- लीची का भी योगदान इस बीमारी में हो सकता है, हालांकि डॉ ने इससे इनकार किया है, लीची में मेथीलेनेकयक्लोप्रोपिलञइने (methylenecyclopropylgyciene) (MCPG) होता है जो कि कुपोषित बच्चो के खाने से एक्टिवेट हो जाता है और ब्लड प्रेशर को कम कर देता है और एक्यूट एन्सेफलाइटिस सिंड्रोम हो जाता है ( यह जानकारी मेरे एक मित्र (पीयूष ठाकुर) ने दी है)
- काफ़ी शोधकर्ता आए (विदेशो और मुम्बई, पुणे से) लेकिन कोई भी इस बीमारी का नाम नही बता पाया।
सरकार की तरफ से इसके बचाव के लिए कुछ सुझाव है मेरे पास:-
1) तत्कालीन लचर स्वास्थ व्य्वस्था का सुधार
2) लोगो मे जागरूकता
3) गाँवो में सॉफ़-सफ़ाई
1) तत्कालीन लचर स्वास्थ व्यवस्था - मरीज़ों के लिए हॉस्पिटल में कम से कम बेड की सुविधा।
क्या आपको पता है बिहार में डॉक्टर और लोगो का अनुपात कितने का है?
तकरीबन 23,888 लोगो पर 1 डॉक्टर है बिहार मे!! जी हाँ, 23 हज़ार 888 लोगो पर 1 डॉक्टर, पूरे भारत मे अनुपात 12000 पर 1 डॉक्टर का है, और WHO की माने तो प्रति 1000 व्यक्तियों पर 1 डॉक्टर होना आदर्श स्थिति है, ऐसे में केंद्र सरकार को जल्द से जल्द एक स्वास्थ नीति लानी होगी और जब यह सरकार पूरी बहुमत में है तो इसपर ज्यादा दिक्कत इनको होनी नही चाहिए।
NHP, 2017 है लेकिन डॉक्टरों की गिनती बढ़ाने हेतु उचित कदम उठाए जाने चाहिए, मेडिकल सीट्स में बढ़ोत्तरी की जानी चाहिए ।
2) लोगो मे बीमारी के प्रति जागरूकता- गाँवो में जहाँ इसका असर सबसे ज्यादा दिखता है वहाँ लोगो को पता होना चाहिए इसका कारण और बचाव। अब एक मुश्किल यह भी है कि अभी तक डॉ को भी इसका कारण नही पता चला है तो इसका समाधान कैसे बताया जायेगा? अभी हमे यह तो पता है कि यह बीमारी गर्मी के मौसम में फैलती है, तो गर्मी के मौसम में क्या उपाय किये जाए, बच्चो को क्या आहार दिया जाए और किस तरह की सावधानी बरती जाए और हल्के से बुखार को भी हल्के में न लिया जाए।
3) सॉफ-सफ़ाई का होना अत्यंत जरूरी है, किसी भी बीमारी का मुख्य कारण गंदगी हो सकती है और होती है, खुले में शोच, कचरा फैलाना इत्यादि सब खत्म होना चाहिए, एक उपाय यह भी है कि गर्मी के मौसम में 2 बार बच्चो को नहलाएं ताकि संक्रमण से उनका बचाव हो सके।
बाकी तो आपको सुशासन के बारे में पता ही है, अभी हाल ही में खबर आई थी कि बीमारी ग्रसित इलाको का हवाई निरिक्षण होने वाला था!!! हो सकता है हवा के बहाव को नापा जाए खैर बाद में खबर को गलत बताया गया।
इस बेहतरीन अवसर को देखते हुए नेता लोग पोलिटिकल टूरिज्म को बढ़ावा देते हुए हॉस्पिटलों का दौरा कर रहे है।
इस बेहतरीन अवसर को देखते हुए नेता लोग पोलिटिकल टूरिज्म को बढ़ावा देते हुए हॉस्पिटलों का दौरा कर रहे है।
बाकी देखिये आने वाले समय मे इस पर काबू होता है या यह बात भी वक़्त के साथ भुला दी जाएगी।
इस पोस्ट को ज्यादा से ज्यादा लोगो से साझा करें। धन्यवाद।
बाकी हिंदी पोस्ट १) गोरखपुर त्रासदी
२ ) बिहार बाढ़
बाकी हिंदी पोस्ट १) गोरखपुर त्रासदी
२ ) बिहार बाढ़
(ब्लॉग को निरंतर जारी रखने के लिए ads का लगाना जरूरी होता है, इस अत्यंत महत्वपूर्ण मुद्दे के बीच मे भी मुझे लगाना ही पड़ा, आपके सहयोग के लिए धन्यवाद)
Comments
Post a Comment